जबडे़ में दांत कैसे हो इम्लांट सीखी तकनीक

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लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ पेरियोडोनटोलॉजी फैकल्टी ऑफ डेंटल साइंसेस द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला आज आयोजन सीपीगोविला सभागार में किया गया। कार्यशाला में जबड़े में दांतों को इंप्लाट करने की तकनीक बतायी गयी। कार्यशाला में मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. एमएलबी भटट् मौजूद रहें। इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि डेंटल विभाग ने बेहतर चिकित्सा सेवा के द्वारा हमेशा ही चिकित्सा विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ाया है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि केजीएमयू का डेंटल विभाग देशभर में बेहतरीन चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के मामले में दूसरे स्थान पर है।

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इसके साथ ही उन्होंने इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित दिल्ली के डॉ. लंका महेश ने कहा कि इंप्लांट डालने की विधि को अन्य स्टूडेंट्स भी सीख सकें और ज्यादा से ज्यादा मरीजों को फायदा हो सके। कार्यशाला में मुख्य वक्ता दिल्ली के डॉ. लंका महेश ने जबड़ों में दांतों को इंप्लांट के द्वारा फिक्स करने की तकनीक बतायी तथा जबड़ों में जिस जगह हड्डी की चौड़ाई कम हो वहां जीबीआर तकनीक से चौड़ाई बढ़ाने तथा इंप्लांट के द्वारा फिक्स दांत लगाने की विधि बताई।

जयपुर के प्रो. एचएल गुप्ता ने कार्यशाला में इप्लांट मेंटनेंस पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस विधि में इंप्लांटेशन के बाद जबड़ों एवं दांतो को पहले की अपेक्षा ज्यादा देखरेख की आवश्यकता होती है, जिसके बारे में उन्होंने विस्तार से वहां मौजूद स्टूडेंट्स व अन्य लोगों को जानकारी दी। इस अवसर पर डिपार्टमेंट ऑफ पेरियोडोंटोलॉजी फैकल्टी ऑफ डेंटल साइंसेस के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नंदलाल ने इस कार्यशाला के आयोजन का मुख्य उद्देश्य बताते हुए कहा कि इंप्लांट की अच्छी जानकारी और रूचि पैदा होने से पेरियोडोंटिस्ट विशेषज्ञ इंप्लांट के क्षेत्र में पहले के मुकाबले बेहतर सेवा दे सकेंगे। उन्होंने बताया कि पेरियोडोंटोलॉजी विभाग में प्रत्येक वर्ष लगभग 200 से 300 इंप्लांट किया जाता है, इस कार्यशाला से मिली जानकारी का लाभ अब ज्यादा से ज्यादा मरीजों को मिल सकेगा।

कार्यशाला में डिपार्टमेंट ऑफ पेरियोडोंटोलॉजी फैकल्टी ऑफ डेंटल साइंसेस के प्रोफेसर शादाब मोहम्मद ने भी अपने विचार प्रकट किए। इस अवसर पर कार्यशाला के मुख्य आयोजनकर्ता डॉ. अंजनी कुमार पाठक एवं आयोजनकर्ता डॉ. पवित्र रस्तोगी, डॉ. रामेश्वरी सिंघल, डॉ उमेश वर्मा तथा डॉ शालिनी कौशल मुख्य रूप से उपस्थित रहे

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