लखनऊ. किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय चल रहे जनरल सर्जरी विभाग के स्थापना दिवस समारोह के दूसरे दिन आयोजित कार्यक्रम में डॉ विनोद जैन ने किडनी मैं होने वाली पथरी इलाज के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया 15% उत्तर भारतीय गुर्दे की पथरी से ग्रसित होते हैं. अगर देखा जाए तो 50% रोगियों में पथरी दुबारा होने की संभावना होती है. पानी कम पीने की आदत गर्मी में अधिक पसीना आना तथा मथुरा का सेवन पथरी बनने में सहायक होते हैं. उन्होंने बताया मूत्र तंत्र में पथरी के इलाज की विभिन्न विधाएं हैं.
पथरी को कैसे निकाला जाए यह उसके आकार प्रकार पर निर्भर करता है. पथरी के निदान के लिए NonContrast CT Scan सबसे महत्वपूर्ण है यह एक्स रे और अल्ट्रासाउंड से भतार कहा जाता है. डॉ विनोद जैन ने बताया 5 मिमी से कम की पथरी 75% लोगों में अपने आप निकल जाती है जबकि 10 mm की भी 30% पथरिया अपने आप निकल जाती हैं उन्होंने बताया यदि कोई देवता नहीं है यूरेटर की 10 mm से कम आकार की पथरी को सबसे पहले दवा से निकलने का प्रयास किया जाता है दवा द्वारा पथरी निकालने की प्रक्रिया को 6 हफ्ते से ज्यादा ज्यादा नहीं रोका जाता है. उन्होंने बताया 10 से 20 mm के आकार की पथरी लिथोट्रिप्सी विधि द्वारा निकाला जाना बेहतर होता है तथा 20 mm से अधिक आकार के लिए पी सी एन एल विधि का प्रयोग किया जाता है. डॉ जैन ने बतायाRirs एक नई विधा है इसके साथ चुने हुए में मरीजों में बिना चीरा लगाए गुर्दे से पथरी निकाली जा सकती है.
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