गरीबों को ड्रग बैंक से मुफ्त में मिलती हैं दवाएं

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Photo Source:http://pharmadex.msh.org/

अधिकांशमामलों में देखा जाता है कि स्वास्थ्य लाभ के बाद घर में दवाइयां बच जाती हैं, जो बाद में फेंक दी जाती हैं। भावनगर में ऐसी दवाइयों से जरूरतमंदों की मदद के लिए ड्रग बैंक काम करता है, जो मुफ्त में दवाइयां देता है। इनमें वायरल इंफेक्शन से लेकर कैंसर तक की दवाइयां शामिल हैं। रोजाना शाम को ड्रग बैंक से मुफ्त दवा दी जाती है। बस, डॉक्टर का लिखा पर्चा होना चाहिए, वह भी तीन दिन से अधिक पुराना नहीं। औसतन 150 जरूरतमंद मरीज रोजाना ड्रगबैंक सेवा से लाभान्वित होते हैं। ये सेवाकार्य कागजी नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर है। लोगों को इसकी जानकारी देने के लिए ड्रगबैंक पिछले ढाई साल से ऑटो के पीछे और बैनरों के जरिए शहर में प्रचार भी करवाती है।

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दवाइयों का कलेक्शन, रख-रखाव और वितरण आदि पूरा काम सेवाभावी लोग संभालते हैं, जिन्हें ड्रगबैंक में ‘पुजारी’ कहा जाता है ये ‘पुजारी’ इस सेवा यज्ञ को जारी रखे हुए हैं। इनमें 86 साल के करसनदादा करमटिया भी शामिल हैं, जो कहीं से भी दवाइयां डोनेट करने की सूचना मिलने पर अपनी सायकल उठा कर दौड़े चले जाते हैं। करसनदादा की ही भांति महेन्द्रभाई शाह, जयसुख पटेल, हसमुख पोंदा एवं नारणभाई भी बतौर ‘पुजारी’ के रूप में सेवा दे रहे हैं। ये लोग ही दवाइयों को नाम, इनके कंटेंट एवं कितने मिलीग्राम की है आदि के हिसाब से इसे वर्गीकृत करते हैं।

ऐसे दी जाती हैं ड्रग बैंक को दवाइयां –

लाखों रुपए की दवाइयां मुफ्त देना ड्रग बैंक के लिए लोगों की मदद से ही संभव हो रहा है। डाॅक्क्टर, एमआर, फार्मा कंपनी, मेडिकल स्टोर, मंदिर, फ्लैट-सोसायटियों से भी दवाइयां लोग दे जाते हैं। दवाइयां इकट्‌ठा करने के लिए शहर में 40 काउंटर कार्यरत हैं। शहर के 70 डाक्टरों के क्लीनिक से भी ड्रगबैंक को दवाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं।

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