न्यूज – अगर स्वास्थ्य मंत्रालय का यह प्रस्ताव सही रूप से अमल में लाया गया, तो सरकारी अस्पतालों में दवाओं की क्वालिटी का स्तर सुधर जाएगा। सरकार के एक नये प्रस्ताव के मुताबिक अगर एक भी दवा घटिया पाई जाती है, तो निर्माता को पूरे बैच के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के बराबर का जुर्माना देना पड़ सकता है।
सूत्रों की माने तो स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी कहना है कि आमतौर पर एक बैच में 1,000 से लेकर एक लाख यूनिट होती हैं। हालांकि,यह टैबलेट या तरल के रूप में होने वाली दवा के आधार पर बैच का आकार निर्भर करती है।
अधिकारी ने बताया कि आैषधि आैर प्रसाधन सामग्री अधिनियम के अलावा केंद्रीय आैषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा प्रस्तावित नया प्रावधान दोषपूर्ण पैकेजिंग पर भी लागू होगा।
भारत के सर्वोच्च दवा सलाहकार संगठन दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) से इसे मंजूरी मिल गई है आैर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से इसे मंजूरी मिलना बाकी है। बताते चले कि अगर यह प्रस्ताव अमल में लाया तो दवा आपूर्ति करने वाली दवा कम्पनियों की बड़ी मुसीबत बन जाएगी। क्योंकि आये दिन दवा कम्पनियों को पहले तो सही बाद में अद्योमानक पाया जाता है। जिसकी शिकायत होने पर कोई कार्रवाई ठीक से नहीं हो पाती है।
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