लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रोस्थोडेंटिक्स विभाग द्वारा जल्द ही बीपीएस तकनीक से दांतों का इलाज शुरू करने जा रही है। इस तकनीक से बना दांतों का डेंचर न तो ढीला होगा और न इसके प्रयोग करने में समस्या आयेगी। केजीएमयू बॉयो फंक्शन तकनीक का इस्तेमाल कर इलाज मुहैया कराने वाला उत्तर भारत का पहला संस्थान होगा। इससे पहले इस तकनीक का इस्तेमाल दक्षिण भारत के अस्पतालों में किया जाता था। यह जानकारी प्रोस्थोडेंटिक्स विभाग के वरिष्ठ डा. लक्ष्य यादव ने दी। वह शनिवार को प्रोस्थोडेंटिक्स विभाग के स्थापना दिवस समारोह पर लोगों को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि अभी तक लोगों को जो डेंचर लगाया जाता है। उसके ढीले होने की शिकायत ज्यादा आती है। लेकिन बॉयो फंक्शनल डेंचर से यह समस्या काफी हद तक कम हो जायेगी। बीपीएस तकनीक से डेंचर बनाने में इस्तेमाल होने वाला पदार्थ भी उच्च गुणवत्ता का होता है। वहीं चेन्नई से आये डा.बी.रंगराजन की ने बताया कि इम्प्लांट व दांत को एक साथ जोड़ कर काफी कम खर्च में क्राउन लगया जा सकता है। जबकि अभी तक जितने दांत नहीं होते थे। उस हिसाब से इम्प्लांट लगाया जाता है। जो काफी खर्चीला होता है। इम्प्लांट व दांत को जोड़कर क्राउन बनाने पर सस्ता व अच्छा इलाज दिया जा सकता है।
इस अवसर पर केजीएमयू के कुलपति प्रो.एमएलबी भट्ट ने प्रोस्थोडोन्टिक्स विभाग की सराहना करते हुए कहा कि विभाग शोध कार्य, पेटेंट एवं सामाजिक जिम्मेदारियां निभाने में अग्रणी है। इस विभाग को इन कार्यो में हर स्तर पर केजीएमयू प्रशासन का सहयोग मिलेगा। उन्होंने बताया कि केजीएमयू को विश्वस्तरीय बनाने के लिए विशिष्ट शिक्षण-प्रशिक्षण, शोध कार्यो एवं रोगियों को उच्चस्तरीय चिकित्सा सेवाएं देने का आहवान किया। दंत संकाय के डीन प्रो.शादाब मोह मद ने विभाग में अधिकतम शोध पत्र प्रकाशन, पेटेंट एवं प्रोजेक्ट कार्य के लिए विभागाध्यक्ष प्रो.पूरन चन्द्र समेत विभागीय शिक्षकों को बधाई दी।
पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.एन के अग्रवाल ने विभाग के सृजन एवं विकास के अनुभव साझा किये। कार्यक्रम में प्रो. एके सिंह, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. विजय कुमार, प्रो. प्रदीप टण्डन, डॉ. बालेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ. नीरज मिश्रा, डॉ. सोमेन्द्र, डॉ. रधुवर, डॉ. रमाशंकर, डॉ. कौशल किशोर, डॉ. कमलेश्वर सिंह तथा डॉ. दीक्षा आर्या सहित विभाग के रेजिडेण्ट छात्र एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर प्रोस्थोडेंटिक्स विभाग को धावेन्द्र गोल्ड मेडल तथा इम्पेक्ट फैक्टर आवार्ड से भी नवाजा गया।