लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी आईसीयू (आरआईसीयू) में डॉक्टरों की टीम ने हार्ट अटैक के बाद दस मिनट तक कार्डियक पंपिग करना बंद कर चुके मरीज के दोबारा चालू कर दिया। इन डाक्टरों के दावे को माने, तो हार्ट बंद होने के बाद 10 में से एक ही ऐसा मरीज़ होता है जिसे बचाया जा सकता है। यह मरीज़ कार्डियक अरेस्ट के साथ श्वसन क्रिया करने में असफल था। जांच में पता चला कि वह निमोनिया से भी पीड़ित था। जिसे वेंटीलेटर पर लगभग 16 दिन तक चला इलाज किया गया। अब मरीज़ स्वास्थ्य है और उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है।
आरआईसीयू के वरिष्ठ डॉ. वेद प्रकाश ने पत्रकारों को बताया कि फैजाबाद निवासी इस्लाम (45) सांस लेने में दिक्कत के बाद राजधानी के एक निजी अस्पताल में 25 दिसम्बर को भर्ती कराया गया था। यहां कर कुछ दिन तक चले इलाज के बाद इस्लाम की हालत में सुधार नहीं हुआ। इस पर परिजनों ने उसे केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर के आरआईसीयू में 31 जनवरी को भर्ती कराया। यहां पर डाक्टरों जांच में जब उसे आरआईसीयू में भर्ती किया गया तो वह बिलकुल भी सांस नहीं ले पा रह था। उसकी रिपोर्ट के अनुसार निमोनिया भी था।
उन्होंने बताया कि डाक्टरों ने यह देखा कि इस्लाम का हार्ट 10 मिनट तक पंप करना ही बंद दिया है। इस दौरान उनकी टीम ने मरीज़ को लगातार 15 मिनट तक कार्डियो पल्मोनरी रीसब्स्टीट्यूशन (सीपीआर) दिया। इसके बाद दोबारा से मरीज़ का हार्ट की पंपिग शुरू हो गयी, जिसके बाद मरीज़ को वेंटीलेटर पर भर्ती किया गया आैर देखा गया कि हार्ट सही तरीके से काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि मरीज को हार्ट अटैक आया था, जिसकी अंदाजा नहीं लग पाया था। सही समय सही इलाज के कारण उसी हार्ट बीट को डाक्टरों ने पकड़ा आैर पपिंग न काम करना पर सीपीआर दिया। इसके साथ ही निमोनिया का इलाज किया गया। मरीज़ को 11 जनवरी को वेंटीलेटर से हटाया गया और 14 जनवरी को मरीज़ को स्वस्थ्य होने पर डिस्चार्ज किया गया।