एम्स के जांच शुल्कों की समीक्षा

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डेस्क। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एम्स को शुल्कों की समीक्षा के बारे में जानकारी देने को कहा है। बताते है कि एम्स की योजना में खून की जांच, एक्स.रे आदि जांच के लिए 500 रूपए से कम के शुल्कों को हटाने की है। वित्त मंत्रालय के निर्देश पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कई बार अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से शुल्कों की समीक्षा आैर संशोधन करने को कहा है। पिछले 20 साल में एम्स में शुल्कों में बदलाव नहीं किया गया है।

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स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एम्स को भेजे गए एक पत्र में 14 मार्च को भेजे गए पत्र तथा उसके बाद भेजे गए तीन स्मरण पत्रों का जिक्र किया गया है जो स्वायत्त निकायों में शुल्कों की समीक्षा से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि संस्थान से अपेक्षित जानकारी की प्रतीक्षा है। इसमें खासा विलंब हो चुका है आैर व्यय विभाग सूचना प्राप्त करने पर जोर दे रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय चाहता है कि सभी सरकारी संस्थानों के शुल्कों की समीक्षा की जाए।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि एम्स गैर..योजना व्यय में हर साल 300 करोड़ रूपए से ज्यादा अतिरिक्त आवंटन की मांग करता है। इनमें रखरखाव, वेतन आदि शामिल हैं।

अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने एम्स को अपने शुल्कों की समीक्षा करने को कहा है जिसमें 1996 से संशोधन नहीं हुआ है। हालांकि एक आंतरिक समिति ने विभिन्न जांचों तथा प्रक्रि याओं के लिए शुल्क लिए जाने के खिलाफ सिफारिश की है, जो 500 करोड़ रूपए से कम है। समिति का गठन अस्पताल में शुल्कों की समीक्षा के लिए किया गया था।
इसमें सुझाव दिया गया है कि एम्स के निजी वार्ड शुल्कों में वृद्धि कर नुकसान की भरपाई की जा सकती है।

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