लखनऊ। बलरामपुर अस्पताल में दवाओं की गुणवत्ता पर लगातार प्रश्न चिह्न लगता रहा हंै। अब कैल्शियम की दवा के बाद अब डायबिटीज दवा की गुणवत्ता जांच के दायरे में आ गयी है। डायबिटीज की दवा गड़बड़ होने की शिकायत तीमारदारों ने अस्पताल प्रशासन से की। इन सभी का आरोप है कि दवा का रैपर खोलते ही टूट कर चूरन की बिखर जा रही है। हालांकि अस्पताल निदेशक का दावा है कि शिकायत आयी थी, परन्तु दवा की गुणवत्ता की निकली है।
बताते चले कि अस्पताल में कैल्शियम दवा की 1गुणवत्ता ठीक न निकलने मामले में चार लाख दवा की गोली वापस भेजी जा रही है। अब मरीजों को दी जाने वाली डायबिटीज की दवा 2 एमजी ग्लाइमीप्राइड दवा का रैपर खोलते ही टूट रही है, जबकि एक्सपायरी डेट भी महज आठ महीने बची है। मरीज रामशरण का कहना है वह अस्पताल से डायबिटीज की दवा लेते हैं। डॉक्टर की सलाह पर एक एमजी की डोज लेने पर दवा को तोड़ते ही बिखर रही है।
ऐसे में चूरा ही मुंह में डालकर काम चलाया जा रहा है। शांति देवी ने बताया कि दवा तोड़ते ही बिखर जाती है। बताया जाता है कि काउंटर पर फार्मासिस्टों से आपत्ति भी दर्ज कराई गई है, इस बारे में निदेशक डॉ. राजीव लोचन का कहना है कि शिकायत मिली थी। दवा मंगवाकर जांच कराई गई। दवा ठीक है, उसमें कोई शिकायत नहीं है।
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